vinod's feels and words
Sunday, 30 September 2018
वादा,,,,,
वादा
# # # #
टूटना मेरी
नींद का था कि
अनजाने से
ख्वाब का
पूछ बैठा था
क्यों नहीं हुआ
अब तक जलवा
यह आफताब
किसी ने कानों में
हौले से कहा
सूरज का
चले आने का
वादा रात से है
नींद और ख्वाब से तो नहीं,,,,
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