Thursday, 26 March 2020

मुझको ही गलना होगा,,,,



कर लूँगी में सिंगार  तुम्हारे तसव्वुर से
तेरा ख़याल ही अब मेरा गहना होगा,,,,

साथ अपना गर गवारा नहीं ज़माने को
छुप के अब दिल में ही अब रहना होगा,,,

वस्ल ओ हिज्र तो ख़याल है ज़ेहनी
दिल को अब इश्क़ में जलना होगा,,,

तू पत्थर है हिमाला कहलाता है तो क्या
मैं तो हूँ बर्फ़ मुझको ही गलना होगा,,,


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