Thursday, 19 March 2020

शुक्रिया कोरोना !


शुक्रिया कोरोना !
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शुक्रिया कोरोना !
शुक्रिया तुम्हारा तहे दिल से...
जगाने के लिए 
देकर आवाज़ इंसानियत को 
सो गयी है जो
दिन में ही लगातार ख़्वाब देखते 
खो गयी है जो 
हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में,,,

शुक्रिया कोरोना !
खुलासा करने के लिए 
हमारी कमज़ोरियों का 
बताकर हम को 
के कितने ग़ैर महफ़ूज़ हैं हम 
तुम्हारी पोशीदा ताक़त के सामने,,,

शुक्रिया कोरोना !
हमें समझा देने के लिए 
के जुड़ी हुई है कायनात सारी नफ़स के रिश्ते से 
के बराबर है हम सारे 
तहत तुम्हारे आईनो क़ानून के 
दरकिनार उम्र, जिंन्स, नस्ल और मज़हब से,,,

शुक्रिया कोरोना !
याद कराने के लिए 
भूला दिए गए तिब्बी सूरमाओं को 
लड़ रहे जो जंग डट कर 
खड़े होकर अगली कतार में
हटकर हर दुनियावी ख़ुदगर्ज़ी से 
डालते हुए अपनी जान जोखिम में,,,

शुक्रिया कोरोना !
हमें बेशक़ीमती सबक़ सीखा देने के लिए 
के कर सकते हैं नाकामयाब तुम को 
ख़ुद पर क़ाबू करके 
के हरा सकते हैं हम तुम को 
एक जुट खड़े होकर 
मोहब्बत,तल्तफ, रहम और इंसानियत के 
परचम तले,,,

(ग़ैर महफ़ूज़=असुरक्षित, जिन्स=लिंग, नस्ल=race, मज़हब=धर्म सम्प्रदाय, तिब्बी=मेडिकल, सूरमाओं योद्धाओं, जंग=युद्ध, तल्तफ=करुणा, रहम=दया, परचम=झंडा)

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