सखी वो क्यों लेगा अवतार..
(अवतार सीरीज- १)
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धर्म ध्वजायें गगन चूम रही
संतों की नित धूम मच रही
धर्ममय भया सकल संसार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
मंदिर भव्य नित्य बन रहे
मस्ज़िद के मीनार तन रहे
गिरजों की गुंजरित घंटिया
गुरूद्वारों में सबद गुंजार,
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
चंदे दान के दौर गरम है
धन धर्म एक ये कहाँ भरम है
धन बरसे रौं रौं मन हरसे
भये हरित; ज्यों बसंत बहार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
श्रवण कांवड़ अत्यंत पुरानी
मात पिता की नयी कहानी
आईटेनरी है वर्ल्ड टूर की
ना रही तीरथों की दरकार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
रावण राम ढूंढते यारों
कहते प्रभुजी हम कूँ मारो
खीसा ढीला करो रघुवंशी
ना मारो तीर अब दो या चार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
रासलीलायें हर रजनी को
राधे पुकारे हर सजनी को
गोपियन की लीलाएं न्यारी
डिस्को होवत जमना पार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
सज्जन सब,ये जग जानत है
पहुंचे संसद सब मानत है
मंचों पर सम्मान है इनका
क्या तू नहीं जाने हे करतार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
कैस्सेट सीडी भएल पुराने
आईपॉड पर भजन सुहाने
घर घर गूंजे नाम प्रभुजी का
सुने क्या तू हे पालनहार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
भागवत कथाये अति आयोजित
कीर्तन जागरण नित प्रायोजित
मिल्लत तक़रीर के नए मौसम है
बोले तात-भ्रात-भगिनी बारम्बार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
योग ध्यान शिविर बढे है
चैनल लाइव चलन चढ़े है
चोगा-लंगोट-जटा और दाढ़ी
ज्योतिष तंत्र मन्त्र व्यापार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
शान्ति शान्ति सर्वत्र समायी
हम पंचशील के हैं अनुयायी
विश्व गुरु भारत फिर स्थापित
माने सब आर्यावर्त मनुहार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
अभ्युत्थान भक्तों का देखो
जितनी लंबी चौड़ी फेंको
दुष्ट दुर्बल चुनाव है हारे
भयी अपनी ही सरकार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
नहीं प्रभु है धर्मस्य ग्लानि
बढे नहीं असुर अज्ञानी
क्यों तुम व्यर्थ में कष्ट उठाओ
सैज कूँ बिलसो नाग पसार
सखी वो क्यों लेगा अवतार.
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