Monday, 26 September 2016

राजस्थानी दूहा : विजया


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जस अपजस रे खेल में जीवण हुयो बदीत,
खाली हाथ चिता चढ्या नहीं हार नहीं जीत.

होळा चालो साजणा ह'र चालो पंथ बुहार,
जे गड ज्यासी कांकरो हु ज्यासी निसतार.

मिनकी आई चाणचुकी उन्दर लगायी दौड़
मार झप्पटो धर लियो जोड़ लग्यो ना तोड़.

बाप कमाई बिलस रिया टाबर बण पळगोड
मोज मलीदा कर रिया जियां ऐ स्यामी मोड.

अबड़ो गेलो प्रेम रो मिलजुल चाल्या साथ
मोड़ चोराहा है घणा छोड ना दीज्यो हाथ.

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