कफ़न तेरे आँचल जैसा,,,,,
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कर दे स्वप्न विहीन
नयनों को तेरे,
सोचता हूँ कर ही डालूँ
कोई उपद्रव ऐसा,
रणखेत रहूँ
संग्राम में प्रेम के,
और काश !
मेरी लावारिस लाश को
मिल जाए ज्यों
कफ़न तेरे आँचल जैसा,,,
(एक भावुक प्रेमी के किसी मोमेंट के 'फूट पड़ने' को शब्द देने का प्रयास)
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