मैत्री प्रेम
# # #
मैत्री प्रेम होते हैं घटित
मय होश निभाना होता है
सबलता निर्बलता सहित
साथी अपनाना होता है,,,,
समय समाहित है सब कुछ
विश्वास बसाना होता है
स्पंदनों की स्नेहिल भाषा में
स्व सत्व समझाना होता है,,,,,
# # #
मैत्री प्रेम होते हैं घटित
मय होश निभाना होता है
सबलता निर्बलता सहित
साथी अपनाना होता है,,,,
समय समाहित है सब कुछ
विश्वास बसाना होता है
स्पंदनों की स्नेहिल भाषा में
स्व सत्व समझाना होता है,,,,,
No comments:
Post a Comment