यह कैसा तेरा सावन है ?
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लगा आग उत्पात मचाता
बिन कहे क्या क्या कह जाता
पीड़ा से रौं रौं व्यथित रे
जलता धू धू अब दामन है
यह कैसा तेरा सावन है ?
घूँट हलक से उतर गया है
कंठ किसी का जल ही गया है
टूटे हैं सारे पैमाने
लागे सब कुछ अकामन है
यह कैसा तेरा सावन है ?
नज़रें सारी बदल गयी है
रेत हाथ से फिसल गयी है
जिस्म हुआ है रूह पर हावी
क्यों कहते, तू चूड़ामन है
यह कैसा तेरा सावन है ?
चूड़ामन=शीश पर पहना सिरमोर आभूषण / साफा
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