Saturday, 23 July 2022

मुझे तेरा प्यार मिल गया : विजया



मुझे तेरा प्यार मिल गया...

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छायी हुई 

सावन की घटा है 

बागों में 

तेरे फूलों की छटा है...


माना कि 

तू मुझ से ख़फ़ा है 

लफ़्ज़ों से ऊँची 

मेरी दुआ है...


सजदे में देखो 

सिर मेरा झुका है 

होठों पे अटकी

दिल की सदा है...


कैसी मैं आसमाँ 

ज़मीं पे तनहा खड़ी हूँ 

जमाना  कहे 

मैं तुम से जुड़ी हूँ...


रस्मे उल्फत को 

कर रही मैं अदा 

क्या हुआ जो तू 

मुझ से हुआ है जुदा...


ऐ मोहब्बत !

तेरा हो हर लम्हे भला 

सिखाया है जीना 

तू ने जला जला...


बता दे तू मुझ को 

मेरी क्या खता 

बेवजह मिल रही क्यूँ 

मुझे यह सजा...


यह मर्ज़ अब मेरी 

शिफ़ा हो गया 

मुजरिम ही 

मेरा गवाह हो गया...


ओ मेहरबाँ मुझे 

तेरा प्यार मिल गया 

इनायत है 

ग़म तेरा मुझे मिल गया...

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