ख़ुद में लौट आएँ...
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ना हो तलब ना ही तमन्ना
वह लम्हा फिर से चला आए
अब सुनें कुछ दिल की ऐसे के
उठें ,चलें और ख़ुद में लौट आएँ...
आँधियों में उड़ी ख़ाक से
भर गया है घर मेरा
साफ हो जब तलक गर्द
यक कोने में ख़ुद को सिमटाया ज़ाए...
बे अदब, बद इख़लाक, बा हरामती
हुआ है पानी हर दरिया का
लगा डुबकी खुद के समंदर में
लबों को टुक भिगोया जाए...
जागना और सोना
हैं यक सिक्के के ही दो पहलू
सोए हैं पाँव पसार जिस चद्दर पर
हो लिहाफ़ वो सिर पे चली आए...
बीज और माटी का
कैसा ग़ज़ब ये रिश्ता है
दबे, नमू हो,पनपे, खिले,मुरझाए
गिरे, फिर से माटी हो जाए...
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मायने :
बे अदब, बद इख़लाक, बा हरामती=तीनों ही दूषित या polluted को जताते हैं
नमू हो =अंकुरित हो
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