Monday, 1 March 2021

प्रवेश हमारा,,,,,


प्रवेश हमारा,,,

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मन्सा और क्रियान्वन के 

बीच का अंतर 

भर जाता है न जाने 

कितनी प्रक्रियाओं से :

मानसिक

भावनात्मक

और 

अज्ञात-अनाम,

क्या पैठता है 

इन अंतरालों में ?


मन्सा और क्रियान्वन के 

बीच के जुड़ाव में 

कौन करता है विचरण ?

भावनाएँ

आवश्यकताएँ

पीड़ा

जड़ता

और 

भय...

कौन देता है अभिप्रेरण 

इन सारी दिशाओं को ?


मन्सा और क्रियान्वन के 

बीच होता है ज्यों कुछ अपरिहार्य,

भक्ति

प्रेम

शक्ति

और 

आत्मीयता,

क्या हमारे जीवन के ये पक्ष 

हो पाते हैं हमें 

बोधगम्य?


मन्सा और क्रियान्वन के 

बीच क्या मिल पाते हैं हम

अपने विस्मय से ?

हौसले 

एकाग्रता

और 

आश्चर्य,

इन्हीं स्थितियों में ही तो 

होता है 

प्रवेश हमारा 

ध्यान में...


क्रियान्वन=action,मन्सा=intention, प्रक्रियायें=processes, जड़ता=inertia, अपरिहार्य=indespensible, अंतराल=recesses, अभिप्रेरण=motivation

बोधगम्य=comprehensible,विस्मय=awe.

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