हाइकु नौसखिये के,,,,
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१)
कैसा घमंड
एकाकी है पतंग
कटती रही...
२)
हारा संसार
अपना ही प्रचार
झूठे बहाने...
३)
जीवन भर
संबध का बंधन
यही बर्बादी...
४)
गुड ओ तिल
चिपचिपाहट ही
मिठास कहाँ...
५)
कटी पतंग
घर है ना ठिकाना
मैं अनजाना...
चलते चलते 😀
बताएँ त्रुटि
हौसला आफजाई
यही कमाई...
😊😊😊
संगीता दीदी
किया है संशोधन
हो अनुमोदन 😊
धन्यवाद : Sangeetadi और Pushpaji.....ध्यानार्थ : Kanakji)
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