एक नफ़्सीयाती नज़्म : A Psychological Poem
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रूखे रूखे गेसू मेरे
मेरे अपने जज़्बातों जैसे
उलझ गए थे सूख कर,
बढ़ जाती थी धड़कने दिल की
तनाव ही तनाव मांसपेशियों में
अजीब सा खिंचाव सीने में
होती थी जिद्द किसी चीज़ को पाने के लिए
होता था महसूस बेहद लगाव किसी से,
इज़्तिरार कहा था किसी ने
कह दिया था इज़्तिराब भी इसको,
लिख दिया था तबीब नफ़्सी ने
'Anxiety' अपने नुस्ख़े में...
पड़ गए थे काले
पत्ते सारे चमन के
गिर गए थे मुरझा कर
फूल भी सारे
खो दिए थे तितली ने भी
रंग अपने
समा गया था सहरा वीरां ज़िंदगी में
कर रही थी महसूस हारा थका ख़ुद को
हो गया था कम ख़ुद एतमाद मेरा
नहीं टिक पाता था मन
किसी भी काम में मेरा
रखने लगी थी मैं ख़ुद को दूर
अपनों से, ग़ैरों से और हुजूमों जलसों से,
बदल बदल जाते थे मिज़ाज मेरे अचानक
दिखने लगते थे हरे
वो काले पत्ते मुझ को
खिले खिले लगने लग जाते थे
फूल चमन के मुझ को
लौट आए लगते थे तितली के रंगो रक़्स,
चहकने लगती थी मैं
बहकने लगती थी मैं
लगता था छू लूँगी आसमाँ को इस बार तो
मगर अफ़सोस !
लौट आता था फिर के
वही दौर फिर से ज़ेहनी दवाब का
इस बार पर्चे में लिखा था
तबीबे नफ़सियात ने
'ज़ेहनी दवाब की वजा से दीवानगी'
Manic Depression-Bipolar Disorder...
दवा ओ दुआ का दौर भी जारी है
मुझ को फिर से बनाने की मेरी भी तैय्यारी है
शुक्रिया !
मुझे अपनी पहचान करा देने के लिए
अंधेरे में एक उम्मीद की किरण जगा देने के लिए
अपनी मज़बूती ही खड़ा कर सकती है मुझे
पाँवों पर अपने
एहसास यह मुझ को करा देने के लिए
ज़िंदगी है एक नैमत जान लिया है मैं ने
कोई दूसरे के बदौलत नहीं जिंऊँगी,
जीऊँगी अब ख़ातिर अपने
फ़ैसला यह ख़ुद को सुना दिया है मैं ने
तुम से खिले फूलों पर
मंडराती हूँ मैं तितली सी
मेरी थिरकन है तुम्हारे लिए
मेरे सूर्ख होठों पर प्यास है तुम्हारी,
छा गए है मेरे चेहरे पर
मेरी एक नज़र का इंतज़ार
बेताबी मेरी दूसरी नज़र की,
पुकारती हूँ मैं बार बार
चले आओ ! चले आओ !
पिलाने को मुझे अपना आबे हेवां,
समा लो मुझे अपनी बाहों में
चला लो
अपनी प्यार भरी राहों में
थाम कर हाथ मेरा,
जनम गयी है मुझमें आज
शिद्दत से जीने की तमन्ना,
जानते हो तुम
जानता है अल्लाह मेरा
तबीबे नफ़सियात के पास
इलाज है महज़ जिस्म का
रूह का नहीं...
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मायने : नफ़्सियाती=मनोवैज्ञानिक/psychological
नफ़्सियात=मनोविज्ञान/psychology
तबीब नफ़्सी=मनोचिकित्सक/psychiatrist/सायकॉलिजस्ट
ख़ुद एतमाद=आत्म विश्वास/ self confidence
इज़्तिरार=आतुरता, व्यग्रता
इज़्तिराब=व्याकुलता, बेचैनी
रक़्स=नृत्य, ज़ेहनी=दीमागी, जिस्म=देह,रूह=आत्मा
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