Saturday, 1 June 2019

Perfect Glass Vase : Neera

स्वांत: सुखाय

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(हिंदी भावानुवाद के लिए पापा को धन्यवाद)

TO RETURN HOME...,
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Jumbled with my own thoughts,
Each one just puzzling me enough
To lose and crumble myself to pieces.....

Seems I am stuck in
A cobweb of my own expectations
From the world,
Crashing away from the reality .....

The world, the world of people
I seem to know ,
Appears complete strangers to me....

I feel lost like
Alice in wonderland,
Searching for shadow
Where it’s just desert....

I am  just wandering about ,
Struggling to find some miraculous path
to return home,
to return home....



घर लौट जाने के लिए.....
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ख़ुद के ही सोचों में
गडमगड हूँ मैं,
लगता ऐसा ज्यों
धकेल रहा है भरपूर
हर कोई मुझे
घनी पेचीदगियों में
करते हुए
चूर चूर और गुमशुदा मुझ को....

लगता है अटक गयी हूँ मैं
अपनी ही अपेक्षाओं के
मकड़जाल में
हो गयी हूँ मैं दूर
छिटक कर
ज़मीनी हक़ीक़तों से....

संसार, वह संसार
वहम था मुझे जानने जिस को
हो रहा महसूस आज वो
निहायत ही अजनबी मुझ को...

पा रही हूँ मैं खोई हुई ख़ुद को
जैसे कोई 'ऐलिस अद्भुत देश में'
तलाश रही हूँ छांव
जहाँ चारों तरफ़ है सिर्फ़ रेगिस्तान....

बस भटके जा रही हूँ मैं
करते हुई जद्दोजहद
ढूँढ पाने को कोई चमत्कारी राह
घर लौट जाने के लिए
अपने घर लौट जाने के लिए....

❤❤
Neera-2019

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