Monday, 18 March 2019

हम बंजारे...



हम बंजारे
बसाए रखते हैं
घर अपना
अपनी ही रूह में
हर लमहा,
छोड़ देते हैं मगर
कुछ साजों सामाँ
हर कूच से पहले,
रखते हैं महफ़ूज़
चन्द अक्स प्यारे से
चंद यादें मीठी खारी  
बनाकर दौलत अपनी
छूटनी है वो भी    
इस बार की
कूच से पहले,,,,,

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