स्पष्ट मुझे निर्देश जो देते......
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"तुम को चलना है इस पथ प़र ही",
स्पष्ट मुझे निर्देश जो देते.
आग्रही थी माना मैंने यह
कुंठा से प्रतिबद्ध नहीं थी,
साधक थे तुम जाना मैंने
मैं भी कोई सिद्ध नहीं थी,
पाओ सच को इस पथ चल कर
क्यों ना यही आदेश जो देते.
तुझे खोजना होगा निज पथ
बार बार यह वाक्य सुनाते,
अपने दीपक बनो स्वयं ही
बार बार मुनि शाक्य दिखाते,
राह चलाते हाथ पकड़ कर
साथ मेरा यह विशेष जो देते.
मौन रहे मैं जब जब चूकी
कभी नहीं था टोका मुझ को,
जब जब मैं च्युत-मार्ग हुई थी
कभी ना तुमने रोका मुझ को,
इतने क्या दृढ थे निजत्व में
काश मुझे उपदेश जो देते.
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