Tuesday, 8 February 2022

बसंत का मज़ा ले लो....

 

बसंत का मज़ा ले ले...

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लौट कर उदासियों से 

तवस्सुम सजा ले 

बीत गया है पतझड़ 

बसंत का मज़ा ले...


ऐसा कुछ तो नहीं 

जो सब कुछ हर ले 

रुक ना बढ जा आगे 

पुरजोश सफ़र कर ले...


सूरज चंदा पहाड़ नदियाँ 

वन में क़ुदरत को देख ले 

शादमानी में ज़िंदगी है 

खुद की फ़ितरत में देख ले...


अंधेरी सुरंग के पार 

रोशनी की लकीर देख ले 

खोल आँख अपनी 

अनलिखी तहरीर पढ़ ले...

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