Sunday, 14 February 2016

मानव आत्ममुग्ध : विजया

मानव आत्ममुग्ध 
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अल्पतम
अम्ल
शांत हो या विक्षुब्ध
छिन्न विच्छिन्न हो
उष्ण दुग्ध
स्वल्प युक्ति
चिंतन अवरुद्ध
तत्गति प्राप्य
मानव
आत्ममुग्ध
बाह्य तप्त
अंतः दग्ध
निमिष जीवी
मानव
आत्ममुग्ध....

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