मुल्ला का कुत्ता
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मुल्ला नसरुद्दीन को दूसरों के फट्टे में टांग अड़ाने की यानी ज्ञान देने की आदत थी....सलाह देते और फोलो अप भी ख़ूब तगड़ा होता उनका....मुआमला चाहे उनके कुत्ते मोती का भी क्यों ना हो.
मुल्ला नसरुद्दीन ने अपने कुत्ते मोती से एक दिन कहा कि अब ऐसे न चलेगा, उच्च शिक्षा ज़रूरी है इस प्रतिस्पर्द्धा के युग में. अगर तुम्हें एक सफल कुत्ता बनना है तो तू किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में दाख़िला ले ले. बिना लिखे पढ़े अब कुछ भी नहीं होता. पढ़ोगे—लिखोगे, तो बनोगे नवाब.....इधर उधर आवारगर्दी करोगे तो हो जाओगे बर्बाद.
कुत्ते को भी समझ में आया....भला नवाब कौन न होना चाहे, कुत्ता भी होना चाहेगा. जब पढ़—लिख कर कुत्ता वापिस लौटा बाहर से, दो साल बाद, तो मुल्ला ने पूछा, क्या—क्या सीखा?
मोती कुत्ते ने कहा कि सुनो, इतिहास में मुझे कोई रुचि नहीं आई....क्योंकि इंसानों के इतिहास में कुत्ते की क्या रुचि....कुत्तों का कोई ज़िक्र तक नहीं...कुत्ता बोला.
कैसे तुम्हारे इतिहास पुरुष/महिला सिकंदर, अकबर, प्रताप, महारानी लक्ष्मी बाई,चर्चिल हिटलर आदि ,ऐसे हमारे भी बड़े-बड़े कुत्ते हो चुके हैं लेकिन हमारे इतिहास का कोई उल्लेख नहीं. इतिहास में मुझे कुछ रस न आया. जिसमें मेरा और मेरी जाति का उल्लेख न हो, उसमें मुझे क्या रस ?
भूगोल में मेरी थोड़ी उत्सुकता थी—उतनी ही जितनी कि कुत्तों की होती है, हो सकती है......पोस्ट आफिस का बंबा हो या बिजली का खंभा, क्योंकि वे हमारे वाशरूम्स हैं; इससे ज्यादा भूगोल में मुझे कुछ रस नहीं आया.
मुल्ला थोड़ा हैरान होने लगा....उसने कहा, और गणित ? कुत्ते ने कहा, गणित का हम क्या करेंगे? गणित से हमारा कोई मतलब नहीं. धन-संपत्ति तो हमें कोई इकट्ठी नहीं करनी... हम तो पल पल
जीने वाले प्राणी है.....यहाँ और अभी में जीते हैं हम कुत्ते... कल की हमें कोई फिक्र नहीं. जो बीता कल है, वह गया; जो आने वाला कल है, आया नहीं-हिसाब करना किसको है ? लेना-देना क्या है ? कोई खाता-बही रखना है ?
मुल्ला ने कहा, दो साल सब फिजूल गए ? नहीं, उस कुत्ते ने कहा, सब फिजूल नहीं गये. मैं चार विदेशी भाषाओं में पारंगत हो कर लौटा हूं. मुल्ला खुश हुआ. उसने कहा, चलो कुछ तो किया मोती ने..... चलो मास्टर को कह कर..विदेश विभाग में नौकरी लगवा देंगे....अगर भाग्य साथ दिया तो राजदूत हो जाओगे......मुल्ला ने तुरंत कुत्ते के केरियर कार्पेट को बिछा दिया.
रुक जाए तो मुल्ला क्या ?...आगे बोला मुल्ला, अगर प्रभु की कृपा रही तो विदेश मंत्री हो जाओगे...कुछ न कुछ बहुत बेहतरीन हो जाएगा.... चलो इतना ही बहुत.
मेरे सुख के लिए थोड़ी सी वे विदेशी भाषाएं बोलो तो ज़रा बतौर मिसाल. कुत्ते ने कौन पढ़ाई की थी विदेश जाकर. मौज की थी....विदेशी स्वान सुंदरियों से प्यार मोहब्बत की थी और भी बहुत कुछ किया था जिसे साफ़ कहा नहीं जा सकता....पाठकों की कल्पना शक्ति को यह बात समर्पित.
कुत्ते ने आंखें बंद की, अपने को बिलकुल योगी की तरह साधा.बड़े अभ्यास से, बड़ी मुश्किल से एक एक शब्द उससे निकले.
उसने कहा : 'भाऊँ"
मुल्ला बोला, "दूसरी ?"
कुत्ता बोला, "आऊँ"
मुल्ला ने कहा, "तीसरी ?"
कुत्ता बोला, "जाऊँ"
मुल्ला ने कहा, "चौथी और आख़री....इस बार दो शब्द"
कुत्ता बोला, "म्याऊँ" "खाऊँ"
मुल्ला ने सिर ठोंक लिया....मगर कुत्ते को प्रोमोट करते हुए खुद को प्रोमोट करना ज़रूरी था. शहर के पाँच सितारा होटल में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया. राजनीति, कोरपोरेट, मीडिया, धर्म, प्रशासन, बुद्धिजीवी, फ़िल्म आदि सभी हलकों से मेहमान थे...खाने पीने... मिलने जुलने के बीच कुत्ते की वही चार भाषा वाली रिपीट पेरफ़ोरमेंस हुई...कुत्ता सिलेब्रिटी हो गया...टीवी, अख़बार और सोसल मीडिया पर भारत के सर्वाधिक शिक्षित कुत्ते के रूप में छा गया. हर हल्का कुत्ते को अपने फ़ोल्ड में लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिए होड़ करने लगा था....... मुल्ला की चल निकली.
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