छोटे छोटे एहसास
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खिलते हैं
गुल मोहब्बत के
देने को अंजाम
ज़िंदगी की
आम-ओ-अहम
बातों को,
इज़हार बहुतेरे
होते हैं हर लम्हे
कहे अनकहे
बिन बोले
बिन छुए,,,,,,
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खिलते हैं
गुल मोहब्बत के
देने को अंजाम
ज़िंदगी की
आम-ओ-अहम
बातों को,
इज़हार बहुतेरे
होते हैं हर लम्हे
कहे अनकहे
बिन बोले
बिन छुए,,,,,,
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