Wednesday, 3 January 2018

छोटे छोटे एहसास,,,,,,


छोटे छोटे एहसास 
==========

१.
ज़ालिम ऐसा है की क़ाबू में नहीं रहता
सब सहता है मगर कुछ भी नहीं कहता...

२. 
अब एक जुगलबंदी एहसासात की :

खामोश लबों से कहता तो बहुत कुछ है
ये तो बस हम हैं कि अनसुना कर देते हैं,,,
                                (Not Mine)

क्या कहें फ़साने उनकी शोख़ नादानियों के
दिल मिरे को वो यक झुनझुना कर देते हैं,,,

३.
उम्र का क्या कट ही जाती यूँ भी 
वो आए तो रोशन मेरा जहाँ हो गया,,,

No comments:

Post a Comment