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खुद से ही कह दो ना
थोड़े से शब्द
थोड़ा सा मौन,
मन की भाषा
सिवा खुद के
समझेगा कौन..
बंटती ज़िन्दगी के एहसास
बेमानी है,
उपरी बातें
बस आनी जानी है,
सब के बीच से
होता है जो प्रवाह,
सार तत्व वही
जीवन वही
स्वयं वही
अस्तित्व वही,
करके देखो ना तनिक
बस उसकी ही परवाह !
खुद से ही कह दो ना
थोड़े से शब्द
थोड़ा सा मौन,
मन की भाषा
सिवा खुद के
समझेगा कौन..
बंटती ज़िन्दगी के एहसास
बेमानी है,
उपरी बातें
बस आनी जानी है,
सब के बीच से
होता है जो प्रवाह,
सार तत्व वही
जीवन वही
स्वयं वही
अस्तित्व वही,
करके देखो ना तनिक
बस उसकी ही परवाह !
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