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स्याह को मान लेने की ख़ातिर सफ़ेद को जान लेना ज़रूरी होता है.😊
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अना को लगी चोट को जिसने दिल में पाल कर रख लिया वह दूसरों की ख़ुशी में खुश और दुःख में दुखी नहीं हो पाता...सच तो यह है कि वह किसी से प्यार नहीं कर सकता.
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पुराने घाव कुरेदने से नए घाव पैदा हो जाते हैं...और यह सिलसिला ताज़िंदगी जारी रहता है.
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याद भूला दी जाती मगर हमने पाल लिया था उसे ज़ख़्म बना कर....ख़यालों में रहने लगी हर लम्हा दर्द बन कर.
(पुराने काग़ज़ों से)
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