खेल गुणन भाग के...
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माना कि आवश्यक है
कौशल, चातुर्य, वाक् पटुता
संसार में उत्तरजीवन हेतु
नहीं समझ पाते
प्रेमिल हृदय किंतु
खेल गुणन भाग के,
बहुत सी निश्छल सहज स्त्रियां
जो नहीं चाहती लांघना
अपनी निष्ठा की रेखा को
छली जाती है इसीलिए ही
पुरुषों द्वारा कभी कभी
उन त्रियाओं लिए
जो हुआ करती है निष्णात
केवल पटुता,कपट और भेद में...
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