vinod's feels and words
Saturday 30 June 2018
भावाश्रित
भावाश्रित.....
# # #
मैने किया
सर्वस्व अर्पित,
समझा तू ने
भावाश्रित,
ना समझा तू
बात ह्रदय की,
कर दिया
सब कुछ
विस्मृत...
परिभाषाओं के
इस अंतर ने,
कैसा खेल
रचाया,
भ्रम के परदे के
कारण
अपना बना पराया...
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment