महारास (2)
+ + + +
महारास,
श्रृष्टि के कण कण में
महामिलन
पुरुष और प्रकृति का
मेघ
तड़ित
और
पवन बावरी
हो कर एकजुट
कर देते हैं
विचलित
धरा को,
पिघलाकर
भू-स्तर को
घोल देते हैं
संग स्खलन के
और
पहुँचा देते हैं
सागर में,
होता है घटित
विसर्जन
व्यक्तित्व का
बोध
अस्तित्व का,
जाग्रति
चेतन की
स्वीकृति
समग्र की,
पुनर्स्थापना
वर्णनातीत सत्य की
परिणति
प्रत्यय की..
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महारास,
श्रृष्टि के कण कण में
महामिलन
पुरुष और प्रकृति का
मेघ
तड़ित
और
पवन बावरी
हो कर एकजुट
कर देते हैं
विचलित
धरा को,
पिघलाकर
भू-स्तर को
घोल देते हैं
संग स्खलन के
और
पहुँचा देते हैं
सागर में,
होता है घटित
विसर्जन
व्यक्तित्व का
बोध
अस्तित्व का,
जाग्रति
चेतन की
स्वीकृति
समग्र की,
पुनर्स्थापना
वर्णनातीत सत्य की
परिणति
प्रत्यय की..
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