Friday, 13 March 2015

न्यारी यारी : विजया

न्यारी यारी 
+ + + + +
मेंढक और चूहे की यारी 

हुई बहुत थी न्यारी 
बेमेल दोस्ती क्या कर देती 
सुनो कथा यह प्यारी. 

चंचल मेंढक जल में रहता 
थल में रहता चूहा, 
मेंढक उछलकूद था करता 
शांत जीव था चूहा.

मेंढक के कहने सुनने से 
चूहा भी भरमाया 
'फ़ास्ट फ्रेंड' बन कर चूहा भी 
अपने पर इतराया. 

कहा मेंढक ने मूषक राजा 
साथ हमारा गाढा
साथ जियेंगे साथ मरेंगे 
आये कुछ भी बाधा. 

बिन मेरे तू भी नहीं 
थी मेंढक की भाषा 
चूहा दब्बू समझ ना पाया 
इस यारी की परिभाषा.

मेंढक था चालक और जिद्दी 
चूहे से डोर मंगाई, 
पक्के एक गठजोड़ की भांति 
पाँव-पाँव बंधवाई. 

डोर बांध कर मेंढक बोला 
अब तो एश करेंगे
जुड़े रहेंगे एक दूजे से 
मिसाल पेश करेंगे.

अतिउत्साही दादुर राजा 
तैरे जल के भीतर 
खिंचता खिंचता चूहा बेचारा 
चला आया था अन्दर.

डूब गया तालाब में चूहा
मेंढक की नादानी से 
शव उसका ऊपरजो तैरे
खाये थपेड़े पानी से. 

उड़ रही थी चील एक भूखी 
नज़र उसे वह आया 
मार झपट्टा लपक लिया था 
'टू इन वन' था पाया .

प्राणों के भय से मेंढक भी 
जोर जोर टर्राया 
अब क्या हो बेमेल साथ का 
परिणाम सामने आया. 

यारी सफल होती है तब ही 
हो सामान स्तर जेहन का, 
चाहे फर्क हो धन दौलत का 
हो मेल चिंतन मनन का. 

No comments:

Post a Comment