Sunday, 29 March 2015

वीनस

वीनस 
# # # # 
सुना है 
तेरे गाँव में बारिश हो रही है 
और 
तू भीग कर 
फिर से 'वीनस' हो गयी है, 
फागुन के एहसास 
वक़्त के मोहताज़ नहीं होते ना 
जब चाहे चले आते हैं 
सोये दिल में जगाने वो अरमान 
इब्दिता और आखिर जिनका 
हुआ करता था तेरी छुअन से ही,
बारिश के आसार यहाँ भी है 
मगर मेरे शहर की नमी 
आज सुकूँ से कहीं ज्यादा 
घुटन बरपा कर रही है 
देखो ना !
एक से मौसम भी 
कितना जुदा हो जाते हैं,
तुझ को छूकर आई झीनी सी हवा 
आज क्यों नहीं बन पा रही
"सुखद सुमधुर समीर'
जो हुआ करता था उन्वान
मेरी-तेरी एक सांझा नज़्म का.... 

(इब्दिता=आरम्भ, आखीर=समापन 
वीनस =एक रोमन देवी जो प्रतीक है प्रेम, सौन्दर्य, यौन, उर्वरता,समृद्धि और कामना की. 
बरपा =उपस्थित, उन्वान=शीर्षक, नज़्म=कविता)

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