Thursday, 19 March 2015

बुलबुल : विजया

बुलबुल
+ + + +
गुलशन में
खिज़ा आई,
बुलबुल
बेहोश हो गयी,
बहारां आई
गुल हुए गुंचे
महक फूटी,
मदहोश हो गयी,
चला आया
सैय्याद
लिये कफस
सोने का,
हुई असीर उसमें,
बेलोस हो गयी..
(असीर : कैदी, बेलोस : निष्कलंक, कफस : पिंजरा)

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