साथ तेरा
+ + + +
सरल विषम का भेद था
मुझको
अपरिचित और अनजाना,
साथ तेरा पाकर के
साजन
अर्थ जीवन का जाना,
तुम ने मुझे
सिखाया प्रीतम
जगना और अपनाना,
सहज हो गया
जीना मेरा
स्वप्न साकार सुहाना,
अपना जीवन
जीकर भी मैं
पूर्ण समर्पित तुझ को
मेरा सर्व
समाहित तुझ में
और ना वांछा मुझ को,
भावों में तुम
बोलों में तुम
तुम ही
नयन समाये
नाम तुम्हारा
पल छिन मेरे
रोम रोम सरसाये,
मापदंड कुछ
भिन्न तुम्हारे
पृथक मेरी परिभाषा
सत्य सदैव जयी होता है
व्यर्थ विवाद की भाषा,
कितने रूप तुम्हारे
प्रीतम
व्याकुल मैं हो जाऊं
निकट तुझे पाकर
मैं आश्वस्त
मन ही मन मुस्काऊं...
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सरल विषम का भेद था
मुझको
अपरिचित और अनजाना,
साथ तेरा पाकर के
साजन
अर्थ जीवन का जाना,
तुम ने मुझे
सिखाया प्रीतम
जगना और अपनाना,
सहज हो गया
जीना मेरा
स्वप्न साकार सुहाना,
अपना जीवन
जीकर भी मैं
पूर्ण समर्पित तुझ को
मेरा सर्व
समाहित तुझ में
और ना वांछा मुझ को,
भावों में तुम
बोलों में तुम
तुम ही
नयन समाये
नाम तुम्हारा
पल छिन मेरे
रोम रोम सरसाये,
मापदंड कुछ
भिन्न तुम्हारे
पृथक मेरी परिभाषा
सत्य सदैव जयी होता है
व्यर्थ विवाद की भाषा,
कितने रूप तुम्हारे
प्रीतम
व्याकुल मैं हो जाऊं
निकट तुझे पाकर
मैं आश्वस्त
मन ही मन मुस्काऊं...
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