Friday, 16 June 2023

आँखें : विजया

 

आँखें...

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प्यार भरी 

ये झील सी गहरी मतवाली आँखें 

अनकहा कह रही ख़ामोश आँखें 

चाहत का पैग़ाम देती फुर्तीली आँखें 

व्याकुल और व्यथित 

इंतज़ार में बिछी हुई बेताब आँखें 

थकन से परेशान उनींदी खुली सी आँखें 

दिल का हाल बताती चहकती आँखे

मेरा तो संसार है ये मासूम महकती आँखें...


एक और भी पहलू है सिक्के का 

दिल में कुछ और चेहरे पर कुछ 

दिखाती है शातिर आँखें 

आंसू के झरने बहा बहा कर 

दिल पिघला देती है बहुरूपिया आँखें 

चुन चुन कर शिकार को 

नोंच खाती है निर्दयी आँखें 

अच्छों अच्छों को गुमराह कर देती है 

छलना भरी  चालाक आँखें...


आँखों को समझने की ख़ातिर 

चाहिए होती है पैनी नज़र वाली आँखें 

पहचान इंसान की कर पाती है 

पूर्वाग्रह मुक्त स्वतंत्र आँखें 

क़ुदरत की किसी भी शै में 

फ़र्क़ नहीं करती उदारमना आँखें 

प्रेम की बौछार कर 

अपना बना लेती है निश्छल आँखें...


तुम्हारी परवाह करती एक जोड़ा मेरी आँखें 

मेरे हर जज़्बात की निगाहेबान है तुम्हारी आँखें...

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