तस्वीर और तहरीर
==========
स्वकथ्य :
(१)लम्बे समय से कविताएँ लिख नहीं पा रहा हूँ, अपनी पहले की या स्व. राज जी की रचनाएँ पटल पर पोस्ट करता रहता हूँ. एक उपन्यास के प्रकल्प के सिलसिले में जो लिखना आरम्भ हुआ था वह भी अटका पड़ा है. 🙁
(२)धन्यवाद मेरी संगिनी विजया का जो इस "माठ" वाली (ग्रेसफुल) रजपूतनी के चित्र को चुन कर दिया और इस पर मुक्तक टाइप्स कुछ लिख पाया. टाइप्स इसलिए कि मात्राओं के क़ायदे का पालन नहीं किया है 😃.
(३) अतीक शब्द का अर्थ कुलीन/नोबल/ से हैं आजकल जो नाम चल रहा है उस से नहीं 😃😃.
(४) रचना में रजपूती पोशाक और गहनों का प्रतीकात्मक उल्लेख है. एक तस्वीर शेयर कर रहा हूँ जिसमें बहुत से पारंपरिक ज़ेवर दिखाए गये हैं.
*****************************************
अतीक
####
गर्वपूर्ण सुंदर चेहरे पर दिखे गौरव है
मंथर गति में गरिमामय सौंधी सौरभ है
नयनों की गहनता का करूँ क्या वर्णन
क्षत्राणी-स्वभाव में समाहित पौरव है...
जड़ाऊ बोरला तेरे सुहाग का प्रतीक है
मुक्ता लड़ सीमांकन बताती सटीक है
आड़ या हंसली बनी है शोभा ग्रीवा की
चूड़ छड़ करनोला पायल नथ अतीक है...
रनिवास की पोशाक हल्की केशरिया है
कांचली, कुर्ती, ओढ़ना रेशम घाघरिया है
रूप सज्जा में धज किंतु कोमल है मनुआ
अप्सरा या माँ दुर्गा दमकती तेरी बिंदिया है...
थामे आरती-थाली करों की मुद्रा अनुपम है
असंतुलन नहीं कुछ भी सभी यहाँ तो सम है
दीपक पत्र पुष्प सुगंध, कुंभ में है गंगाजल
विदाई घड़ी हृदय भीगा,कोर नयन की नम है...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21जून 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर चित्रण संग सुंदर रचना ।
ReplyDelete