प्रताप जयंती पर विशेष
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माई एहड़ा पूत जण, जेहड़ा राण प्रताप,
अकबर सूतो ओझकै, जाण सिराणै साँप...
(हे माता ऐसे पुत्रों को जन्म दे, जैसा राणा प्रताप है,
जिसको अकबर सिरहाने का साँप समझ कर सोता हुआ चौंक पडता है.)
हकीम ख़ान : एक महान योद्धा और महाराणा प्रताप के दोस्त..
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🔹इनका जन्म 1538 ई. में हुआ था. ये अफगान बादशाह शेरशाह सूरी के वंशज थे. महाराणा प्रताप का साथ देने के लिए ये बिहार से मेवाड़ आए व अपने 800 से 1000 अफगान सैनिकों के साथ महाराणा के सामने प्रस्तुत हुए.
🔹हकीम खान सूरी को महाराणा ने मेवाड़ का सेनापति घोषित किया. हकीम खान हरावल (सेना की सबसे आगे वाली पंक्ति) का नेतृत्व करते थे | ये मेवाड़ के शस्त्रागार (मायरा) के प्रमुख थे. मेवाड़ के सैनिकों के पगड़ी के स्थान पर शिरस्त्राण पहन कर युद्ध लड़ने का श्रेय इन्हें ही जाता है.
🔹हकीम खान सूरी एक मात्र व्यक्ति थे जो मुग़लो के खिलाफ मुसलमान होते हुए भी महाराणा प्रताप की तरफ से लड़े. जबकि कई राजपूत राजा उस समय अकबर की तरफ से लड़े थे. हकीम ख़ान हल्दीघाटी के युद्ध मे लड़ते लड़ते शहीद होकर अमर हो गए.
🔹उनकी मजार के बारे में यह प्रचलित है कि महाराणा और अकबर की सेना के बीच युद्ध के दौरान मेवाड़ के सेनापति हकीम खान सूरी का सिर धड़ से अलग हो गया था इसके बावजूद भी कुछ देर तक वे घोड़े पर योद्धा की तरह सवार रहे. कहते हैं कि मृत्यु के बाद हल्दी घाटी में जहां उनका धड़ गिरा.
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