Friday, 16 June 2023

तपिश : विजया

 तपिश 

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तप रहा है आसमाँ

सूख गई है ज़मीन 

सब कुछ है लुटा लुटा सा 

पड़ गई है गहरी दरारें

ना जाने पाटी जाएगी कैसे ?


ऐ आँधी !

उखाड़ दे ना गर्मी को 

चीर डाल इस तपिश को 

उड़ा दे इन चीथड़ों को 

ना जाने बदलेगा ये मौसम कैसे ?


नहीं गिर पा रहे हैं फल 

इस सघन हवा में 

किए जा रही है तपिश

आड़ुओं की नोक को कुंद और अंगूरों को गोल 

आख़िर यह सताना मिटेगा कैसे ?


ऐ आँधी !

चला दो हल बीच से इसके 

बाँट दो इसको दोनों तरफ़ रास्ते के अपने 

आ जाएगी फिर बारिश झमाझम 

होगा ख़ात्मा सब मुश्किलों का ऐसे...


Inspired by HD

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