उत्तर माँगती है हर स्त्री
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सीता तू संस्कारी ही रही
और
राम, ना जाने क्यों
आप रहे मात्र पुरुष परम्परावादी ?
स्वीकारा था वनवास आपने
पितृ आज्ञा की परंपरा निबाहने
चल दी थी सीता
छोड़ कर सब सुख वैभव
साथ आपका देने...
आया था एक समय
सुन कर किसी की अनर्गल बात
भेज दिया था आपने
हे "मर्यादा पुरुषोत्तम" !
सिय को अकेले अरण्यवास को
क्यों नहीं गए गर्भवती निरीह स्त्री संग
छोड़ कर सिंहासन अयोध्या का ?
क्या नहीं थी सीता
एक प्रेयसी
एक सहधर्मिणी
एक संगिनी
एक सहचरी,
अरे आप तो ठहरे
राजधर्म के नशे में चूर एक पुरुष
समूह के मनोविज्ञान के अन्तर्गत
आदर्शों को जीने का उपक्रम करने वाले,
दे देते न्याय जानकी को
कम से कम प्रजा समझ कर ?
उत्तर माँगती है हर स्त्री आज
अपने इन अबूझ प्रश्नों का...
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