Sunday, 9 July 2023

तवक्कों मेरी : विजया



तवक्को मेरी 

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जुदा हो सकता है ना 

'जस का तस'  हर एक का 

पैंट कम्पनी के इश्तिहार के 

'मेरे वाले  पिंक' के मुआफ़िक़..


क्यों भूल जाते हो 

सवाल नज़र और नज़रिए का 

वक़्त और हालात के सच को

और हक़ीक़त ज़ेहनी हुदूद की..


माना कि हटते ही मलबे के 

उभर आना है सच को

मगर ग़ैर मुनासिब तो नहीं 

तवक्को मेरी सब्र और मोहलत की...


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जेहनी हुदूद = मस्तिष्क की सीमायें

तव्वको=अपेक्षा

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