Friday, 21 July 2023

कृष्ण नीति : आकृति

 कृष्णनीति 

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नहीं समझते कोई दोष श्री कृष्ण 

अधर्मी को मारने में

छल हो तो छल से, 

कपट हो तो कपट से,

अनीति हो तो अनीति से,

अधर्मी को नष्ट करना ही 

होता है  "ध्येय" कर्म योगी का


इसीलिए दी थ्री शिक्षा 

केवल कर्म करने की 

कृष्ण ने अर्जुन को


धँस गया जब 

कर्ण के रथ का पहिया 

कीचड़ में 

देख कर संभावना और तत्परता 

प्राणहन्ता वार की अर्जुन द्वारा 

संकट में घिरे कर्ण ने 

कहा था अपनी ऊँची ध्वनि में 

"यह तो "अधर्म "है !

अधर्म है यह"


कहा था श्री कृष्ण ने,

अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले,

और द्रौपदी  को भरे दरबार में 

वेश्या कहने वाले के मुख से 

नहीं देता शोभा 

आज धर्म की बातें करना


और कह दिया था श्री कृष्ण ने,

अर्जुन ! मत दो ध्यान 

कर्ण के विलापों पर 

आ गया है अब अवसर 

कर देने का अंत 

छद्म नैतिकता के भ्रम को

जीने वाले इस कौरव सेनापति का 


और 

नहीं चूका था 

अर्जुन महाभारत का

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