"भंगी" बने...
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💎चाहे ईश्वर कृतृत्व को माने, प्रकृति और स्वतः सहज सृजन की थ्योरी को स्वीकारें या कार्य और कारण के वैज्ञानिक सिद्धांत को ही आधार मान कर चलें...एक बात स्वयं सिद्ध है कि चीजें सापेक्ष होती है.
💎नियति, भाग्य, प्रारब्ध, कर्मफल, ऋण बंधन आदि की मान्यताएँ अपनी जगह ठीक हो सकती है किंतु यह जो हम प्रत्यक्ष देखते हैं वह मुझे इस से ज़्यादा ठीक लगता है :
कुछ भी Exact और Ultimate नहीं होता. उन्नीस-इक्कीस का फ़र्क़ होता ही है.
💎हर चीज़ के एकाधिक विकल्प होते हैं और उनमें से हम अपने लिए सोच कर या जान कर या किसी के बताने पर या सहज या कोई और तरह...कुछ चुन लेते हैं....उसे प्रेक्टिकल में अपनाते हैं.
जिन्हें अपने भावना विवेक से बढ़ कर प्रभु या प्रकृति में विश्वास हो तो इन विकल्पों को उनके द्वारा प्रदत्त मान सकते हैं. यह theory भी सहर्ष स्वीकार की जा सकती हैं. अंतर्विरोध पर विस्तार से ज्ञान लेना देना Intellectual Exercise है जिसका कोई प्रैक्टिकल इम्प्लिकेशन नहीं होता.
💎साइकोथेरापी, CBT, graphotheraphy, NLP, ध्यान, तरह तरह के अभ्यास, संगत, देश-काल-परिस्थिति-भाव आदि के प्रभाव से हुए बदलाव हम अपनी आँखों के सामने देखते हैं. मेरे जाने वे हमारे अपने चुनाव और उसे पालन करने के श्रम से प्राथमिक तौर पर होते हैं.उसके साथ परमात्मा, प्रकृति और आद्यशक्ति के support को व्यावहारिक/पराभौतिक/परमनोवैज्ञानिक बात के रूप में स्वीकार किया जा सकता है.
💎मेरे जाने हमारी बहिरंग और अंतरंग की गतिविधियाँ एक दूसरे को प्रभावित करती है. हम कितने ही परेशान हों अगर बाहर की साफ़ सफ़ाई में लग जाएँगे तो अंदर से भी साफ़ हुए महसूस करेंगे. अगर ख़ुशनुमा उद्यान में हरियाली और फूलों के बीच हो कर या अच्छी ख़ुशबू वाला पर्फ़्यूम लगा कर या अच्छी धुन गुनगुनाकर या सुन कर खुद को आनंदित महसूस करेंगे तो हमारे अपने वाइब्ज़ भी सकारात्मक और ख़ुशनुमा होने लगेंगे.
💎एक कहावत है : जैसी नीयत वैसी बरकत. एक और : जैसा खाए अन्न वैसा रहे मन. एक और : रोते रोते जाएगा तो मरे हुए की खबर लाएगा.
💎जस का तस देखें...जो देखते हैं उसे अपने विचारों में भंग कर कर के देखें...हक़ीक़त तक पहुँच जाएँगे... आफ़त का पहाड़ छोटा पत्थर या कंकर सा समझ में आ जाएगा...स्वीकार्यता आ जाएगी...हल निकल आएगा.जो सार है उस पर तवज्जो दें जो कचरा है उसे बुहार बाहर करें. क्यों ना हम "भंगी" बनें.
समस्या अंतरंग की हो या बहिरंग की. हर यथार्थ में positivity निहित होती है. बात दृष्टि की.
💎चूँकि मेरे ऐसे नोट्स का मक़सद सोचने-समझने और मनन-गुणन करने के लिए फ़ीडबेक देना मात्र है-इतना पर्याप्त.
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