Wednesday, 8 June 2022

नाराज़गी : विजया

 

उदासियों के दरमियाँ 

मेरी ख़ामोशी को 

नाराज़गी समझ लिया,

दर्द छुपा कर मुस्कुराई तो 

ताज़गी समझ लिया,

मेरी तनहाइयों का साथ 

चंद निस्बतों ने दिया,

तुम ने मेरे मरासिम को 

आवारगी समझ लिया...

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