Wednesday, 8 June 2022

यूँ ही...

 यूँ ही...

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रह गयी 

अनलिखी 

कहानियां और कविताएँ 

बहुत सी 

मात्र इस डर से 

कि ना जाने 

अच्छी होगी कि नहीं...

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