चाय नामा (अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस)
++++++++++++++++++++
कहा करते थे तुम
एक से होते हैं ये चाय और रिश्ते
बदलते हैं हालात और दबाव
जैसे जैसे
रंग भी बदलता है इनका...
मैं ज़रा हट कर कहती
चाय खोल देती है दिमाग़ को
और
प्यार खोल देता है आँखों को,
नहीं जानती मैं दिली रिश्तों में
हालात और दवाब का किरदार...
और तुम्हारा लालच
बिना चीनी चाय का कप वैसा ही
जैसे प्यार बिना ज़िंदगानी
और माँग 'चखणे' की
क्रेकर्स, कूकीज़, निमकी और नमकीन
जैसे इनके बिना
चाय का चरम सुख नहीं...
मैं कहती ज़रा हट कर
चाय का कप समरूप होता है जीवन के
तय होता है कि कौन सा "सब्सटेंस"
इस्तेमाल हुआ है उसे बनाने में
'चखणे' का साथ
चाय का मज़ा कम कर देता है
एकाध काफ़ी
मगर तुम्हें तो चाहिए ही चाहिए...
तुम दार्शनिक हो कर कह देते हो
जब भी ठंडापन और सूनापन सताए
चाय बनाई जाय
उड़ती भाप और चुस्कियाँ
उसके साथ सभी रसों के वृतांत
'सोब ठीक कोर देगा'
बंगला एक्सेंट में हिंदी मतलब
'सोब ठीक आछे'😊...
चाय के प्याले पर
हमारी असहमतियाँ
पक कर,गल कर,कमजोर होकर, सुलझकर
गिर जाती है ना...
तभी तो एक मत हैं हम
चाय का प्याला बन सकता है हल
हमारी हर एक मुश्किल का...
No comments:
Post a Comment