Wednesday, 8 June 2022

कुछ एहसास...,

 

(१)

विष के दाग पड़े हैं तन पर 

नस नस चंदन बहता है

जीवन के उलझे धागों में 

एक सरल मन रहता है...(अज्ञात)

(२)

अहसासे गुनाह का बौझ लिए 

क्या क्या मन कह देता है 

जस का तस देखूँ यदि मैं तो 

बाधा देता रहता है...(विनोद सिंघी)

(३)

नश्वर तन है नश्वर मन भी 

आत्मा अमिट अजर अमर 

चुनाव भेद भरमाते हम को 

सत्य  जिया जाए समग्र...(विनोद सिंघी)


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