ज़िम्मेदारी....
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करती हूँ महसूस
तुम्हारे लिए मेरे प्यार को
फ़रोगे जलवा मुसल्सल,
जी रही हूँ मैं तुम्हारे लिए
उस दूब की मानिंद
निभाती है जो बदस्तूर
ज़िम्मेदारी अपनी
खुद ही क़ुदरत हो कर
देते हुए चैन ओ ठंडक
ज़मीं को
लगातार ढके रख कर उसको
अपने पूरे वजूद से,
यह बढ़त मेरे प्यार की
बना रही हो जैसे
जीवंत और ख़ुश तब'अ
हर लम्हा तुम को...
(फ़रोग़=वृद्धि/तरक़्क़ी/growing, जलवा=तेजोवलय/brilliance, तब'अ=स्वभाव/nature)
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