Tuesday, 8 February 2022

पित्राकुन....


पित्राकुन ... (*)

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समझो, यदि होने के बाद तो बोध कहाँ  ?

पाओ, यदि पहुँचने के बाद तो पाना कहाँ ?

जानो, यदि देखने के बाद तो ज्ञान कहाँ ?


कर पाओ यदि होने से पहले 

हो जाए अनुभूत यदि क्रिया से पहले 

देखो पल्लवन यदि अंकुरण से पहले 

तो बात बने परे शब्दों के उलझाव से परे...


चलो मुस्कुरा लेते हैं 

आज फिर एक बार 

कहते हुए कि 

शुभ है प्रवेश पित्राकुन में...


देखो,बता रहा है 

*अंद्रेई  बाबा यज्ञाको (**)

जार का हुक्म

जाओ वहाँ,ना जाने कहाँ 

लाओ उसे,ना जाने  किसे  ?


(*)पित्राकुन शब्द को यदि उल्टा पढ़ें तो नकुत्रापि होगा याने कहीं नहीं.


(**) एक लम्बी सी रूसी लोक कथा की Power Lines.


🧲Please do see a beautiful painting in the comments section.

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