Sunday, 19 February 2023

कामिनी और सुखेन : विदुषी सेरीज

 विदुषी का विनिमय सीरीज़ 

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कामिनी और सुखेन 

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मनोविज्ञान के अपने कुछ एसोसिएट्स से Delusions और Bipolar Disorder टर्मस  पर चर्चा हो रही थी. कई केस स्टडीज भी डिस्कस हो रही थी. उनमें से एक वाक़ये को शेयर कर रहा हूँ. पात्रों, स्थानों और घटनाओं में यथावश्यक रूपान्तरण भी कर दिया गया है. यह मानव मनोविज्ञान के अध्ययन के क्रम में सिंपली एक जनरल केस है जिसमें  कृपया कोई भी खुद को या किसी परिचित को देख कर परेशान ना हो, ऐसे वाक़ये बहुत से लोगों के साथ होते हैं.


मेरे जाने इसका किसी की नैतिकता और चारित्रिकता भी से कोई नाता समझ कर जजमेंटल हो जाना भी भूल है. यह एक साइकोलॉजिकल डिसॉर्डर/ट्रेट है जो स्त्री या पुरुष किसी को भी हो सकता है और जिसमें एक्स्पर्ट healthcarer की मदद वांछित होती है और पीड़ित के साथ यथासंभव मैत्रीपूर्ण व्यवहार (empathy)  की भी अपेक्षा.


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कामिनी को बचपन से ही यह महसूस होता रहा था कि उसे उपरवाले ने कुछ डिवाइन या कोसमिक पावर से नवाजा है. 

वह सभी को कहती थी कि विशेष विशेष धर्म स्थानों पर जब भी वह विज़िट करती है तो उसके रौं खड़े हो जाते हैं, देह काँपने लगती है, ध्यान लग जाता हैं और बहुत दफ़ा आँखों से अश्रु धारा बहने लगती है. रोना तो उसे बात बेबात आ जाता था, एक दफ़ा आँखें बरसने लगती तो थमने का नाम नहीं लेती थी.


उसे यह भी लगता था कि वह लोगों को 'Heal' कर सकती है बल्कि इन सब को सुव्यवस्थित करने के लिए उसने प्राणिक हीलिंग का कोर्स भी किया था. बात चीत में "वाइब्स और इंट्यूशन "उसके तकिया कलाम  थे. उसका यह भी सोच था कि उसका Compatible Spouse उसके पति से इत्तर कोई और है और उसे उसको तलाशना चाहिए.


अपने बनाए इस सोचों के संसार में विचरण करती वह कई मिलने वाले मर्दों में (औरतों में नहीं) पूर्व जन्म के कुछ सम्बंध महसूस कर लेती थी. छोटी छोटी चीजों में भी वह डिवाइन इंडिकेशन देखने लगती थी, जैसा कि इस वाक़ये में हुआ था.

एक व्यक्ति विशेष की फ़ेसबुक प्रोफ़ायल का बार बार उसके सामने आ जाना, उसकी कविताओं और ब्लॉग का सामना हो जाना, जिस सोसल मीडिया पर जिस कम्यूनिटी की वो सदस्य थी उसमें उस व्यक्ति का joining request आ जाना और join कर लेना इत्यादि. बन्दे का फ़्रेंड रिक्वेस्ट आ गया और add हो गया. हालाँकि बन्दे ने add रिक्वेस्ट फ़ेसबुक और blog में कमेंट्स देख कर भेजा था मगर मोहतरमा को अपनी कोसमिक कनेक्शन थ्योरी का ही भरोसा था या कहें कि भ्रम पाला हुआ था. सोसल मीडिया में लगे हम सभी जन जानते हैं कि ये सब ज़ुकेरबर्ग की एंगेज की गयी AI (Artificial Intelligence) का नॉर्मल फ़ीचर है, मगर delusion की क्या कहिए. पहले मेसेंजर, फिर whatspp, फिर ऑडीओ और विडीओ कॉल. बस "नो टाइम" में ही "I love You" हो गया...बार बार "इंटरनेट चैट पर देह पूजन" भी  क्योंकि Cosmic Connect जो था, डिवाइन अप्रूवल थी. वादे और अहद हुए और माधव कृपा से मनसा वाचा कर्मणा लखनऊ के वासी सुखेन मानो उसके लाइफ़ के लिए पार्ट्नर हो गए.  मैडम उन्हें उसी नज़र से देखने लगी थी और बहुत हद तक मन में भी उसी रूप में ग्रहण करने लगी थी. दोनों के बीच जो भी बातें होती उनमें एक दूसरे के साथ जीने मरने के सपने देखे जाने लगे. मैडम कहती, "मेरी ज़िंदगी की तलाश पूरी हुई, देर से ही सही मुझे मेरा बिछुड़ा सोलमेट मिल गया." चतुर चालाक सुखेन भी अपने फ़ायदे के लिए अपनी लफ़्फ़ाज़ी  से कामिनी के इस नोशन को हवा देने लगा. व्यक्ति को जब अवसर मिलता है तो येन केन प्रकारेण अपने लाभ के लिए स्थितियों को manipulate करता है, सुखेन का शातिर दिमाग भी कामिनी की इस मानसिकता का बेजा फ़ायदा उठाने के प्लान बनाने लगा. मानवीय कमज़ोरियाँ जेंडर न्यूट्रल होती है, यह वाक़या इस बात की एक मिसाल समझी जा सकती है. 


केस स्टडी के दौरान इस केस को कई नज़रिए से परखा गया..Illusions-Delusions, Bipolar disorder के अलावा 

Behaviorial Trait और Nympho-menia पर भी चर्चा हुई.

हमारे एक असोसिएटस की समझ के अनुसार इस केस-स्टडी में इतने भारी भरकम jargons को तवज्जो ना देकर सहज human trait, opportunity और stimuli की presence से पैदा हुई स्थिति को ही देखना उपयुक्त था. ख़ैर इन डिस्कसन का मूल्यवान पहलु यही होता है कि सब अपने अपने इन्पुट्स देते हैं, एक दूसरे की बात को समझते हैं और स्पष्टता हासिल कर पाते हैं.


वैसे कामिनी दिल्ली में अपने बेटे की IAS की कोचिंग के लिए अपने पति से दूर रहकर अपनी ज़िम्मेदारी निबाह रही थी. वह मुखर्जीनगर में किराए का 2 BHK फ़्लैट लेकर अपने बेटे के साथ रह रही थी. 


देर रात तक सुखेन और कामिनी में बातें होती, कविताओं का पठन श्रवण होता...भविष्य की योजनाएँ बनती...घर बसाने तक के सपने लिए जाते, भूला कर कि दोनों ही मध्य वय के क़रीब वाले शादीशुदा लोग हैं .  चूँकि कामिनी एक शौक़िया गायिका भी थी सुखेन को फ़ोन पर गा गा कर भी अपनी फ़ीलिंग्स का इजहार करती थी. दोनों की दुनिया एक दूजे में जैसे सिमट आयी थी. दोनों ही माधव के प्रति कृतज्ञ थे कि बिछुड़े जीवन साथियों को उसने महत्ती  कृपा करके मिला दिया था.


एक दिन कामिनी  बहुत ही मायूस और उदास हो कर दाग देहलवी की यह ग़ज़ल सुखेन को विडीओ कोल पर सुना रही थी, "उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं,बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात बताते भी नहीं". मिलन की उत्कंठा इतनी प्रबल हो गयी कि मिलने का प्रोग्राम बन ही गया.


सुखेन को कामिनी ने रेल्वे स्टेशन पर रिसीव किया और उसका इंतज़ाम एक नोर्मल से होटल में कर दिया. कामिनी राजस्थानी बंधेज की साड़ी पहने सूखेन के साथ होटल में थी और एक व्याकुल गर्ल फ़्रेंड के साथ साथ एक सुगढ़ पत्नी की तरह भी व्यवहार कर रही थी. सुखेन भी बॉय फ़्रेण्ड और पति का डबल रोल निबाह रहा था. कामिनी ने "माधव" का एक शो पीस (मूर्ति) सुखेन को गिफ़्ट किया था और माधव की उपस्थिति में दोनों ने स्त्री-पुरुष/पति पत्नी का जीवन जी भर के जी लिया था. देह और आत्मा दोनों जैसे एक-मेक हो कर परितृप्त हो गए थे. सुखेन ने, जिसका कालांतर में कामिनी से ब्रेक अप हो गया, हमारे एक असोसिएट को वार्ता के दौरान बताया था कि कामिनी मिलन के दौरान किस हद तक जुनूनी हो गई थी, बार बार कहते हुए कि वह जन्मों की प्यासी है और सुखेन अब मिला है अब उसकी भौतिक और आत्मिक पिपासा को अमृत मिलेगा, कि वह अपनी feminity को अब सुखेन जैसे साथी के साथ एक्सप्लोर कर पाएगी क्योंकि अब तक की उसकी  शादीशुदा ज़िंदगी एक भौंडा समझौता मात्र थी. सुखेन ने यह भी बताया कि संसर्ग के लिए कामिनी ने पहल की थी, उसका उत्तेजन अति पर था और वह विक्षिप्त जैसी हरकतें कर रही थी. सुखेन द्वारा उसकी बातों को सुनना, हाँ में हाँ मिलाना, अटेन्शन देना, ऐसे जुमले बोलना जो उसकी ईगो को बूस्ट करे और काल्पनिक संसार में विचरण कराए, कामिनी को और अधिक प्रोत्साहित कर रहा था . कामिनी दावा कर रही थी कि वह सुखेन, जो उस से उम्र में दो या तीन साल छोटा था, के जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार का अकल्पनीय बदलाव ला देगी. सुखेन ने माना कि उसने रिश्ते के दौरान कामिनी की असंतुष्टि की स्थिति  और इस Low Self Esteem जो Superiority का लबादा औढे हुई थी का भरपूर फ़ायदा उठाया था.


उन दिनों कामिनी का बेटा दिन में अपने कोचिंग सेंटर चला जाता था. कामिनी लंच के समय सुखेन को अपने घर ले आई. उसे मालूम था कि सुखेन को छोला चावल बहुत पसंद है इसलिए रात में ही उसने छोले भिगो दिए थे. सुखेन को आराम करने का कह कर, कामिनी ने एक कुशल गृहिणी की तरह छोला चावल बड़े मन से तैय्यार किए. सुखेन किचन में पारम्परिक पतियों की तरह ही ज़मीन पर आसान बिछा कर बैठ गया और कामिनी ने परोस कर उसे जिमाया. संस्कारी पतिव्रता नारी की तरह कामिनी ने उसके खाने के बाद खुद खाया. एक महिला कवियत्री जो नेट की दुनिया में नामी है उसे सुखेन माँ कह कर पुकारता था. उस से मिलाने वह कामिनी को ले गया और कामिनी ने वाक़ायदा प्रणाम कर 'सास' का आशीर्वाद लिया. कामिनी-सुखेन के बीच इसी तरह के और भी रिश्ते रिश्ते खेल होते रहे. हब्बी की देश से ग़ैरहाज़िरी के मद्दे नज़र यहाँ तक कि उस साल की करवा चौथ की मेहंदी और शृंगार भी कामिनी ने सुखेन के लिए किया था. 


कामिनी अपने भ्रम को बदस्तूर जी रही थी और सुखेन माधव कृपा का भरपूर लाभ उठा रहा था.

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