बहुरूपी बहुरंगी,,,
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तुम्हारे साथ का प्रत्येक क्षण
दिखाता है कई रंगों में
मुझ स्वयं को ,
नहीं है ना सब कुछ एक रंग,
विपुलता है जीवन की
जगमगाती है जो
प्रत्येक स्पर्श के साथ,,,
मैं बहुरूपी बहुरंगी
चाहता हूँ निरंतर
स्निग्ध साथ तुम्हारा
देख सकूँ ताकि
सौंदर्य जीवन का
स्पष्टता से
होकर तुम्हारा आईना,,,
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