Sunday, 1 December 2019

शर्मो हया कहां ? : विजया


शर्मो हया कहाँ ?
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वो ही भाषण 
वो ही मोमबतियाँ 
वो ही घड़ियाली आंसू 
अभी ना जाने कितनी 'निर्भयायें' होंगी....
भय के बने रहते निर्भया कहाँ ?

भय हम से कहलाता हैं
हम माँ हैं
हम बहन हैं 
हम बेटी हैं 
हमारे साथ बलात्कार ना करो,
जैसे माँग रहें हैं भीख अपने बचाव की 
स्त्री अस्तित्व के संघर्ष में दया कहाँ ?

संसद तुम्हारा 
विधान सभाएँ तुम्हारी 
क़ानून तुम्हारा 
पुलिस तुम्हारी 
न्यायालय भी पुरुष जजों का 
ऐसे में 'निर्भया एक' के संहारक ज़िंदा है
सजा देने वालों की शर्मो हया कहाँ ?

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