१)
सुरूर....
+++
भर देता है सुरूर
इश्क़ तेरी आँखों में
होते है मय में
नफ़स ओ धड़कने कहाँ...
२)
सत्कार दर्पण का
बिख्यात व बहुचर्चित है
स्वागत है अतिथि का
बस जाना किंतु वर्जित है....
३)
दूर तलक
देखने की आस में
गुज़र गया बहुत कुछ
नज़रों के पास से....
४)
क्रोध और आंधी
एक से है दोनों,
ज्ञात हो पाता है
परिमाण क्षति का
शांत होने के बाद...
५)
न जाने
क्यों कब और कैसे
पहुंच गया
दर पर उसके,
होते हुए
टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों से,
और खो गया था
जगत की भीड़ में.....
सुरूर....
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भर देता है सुरूर
इश्क़ तेरी आँखों में
होते है मय में
नफ़स ओ धड़कने कहाँ...
२)
सत्कार दर्पण का
बिख्यात व बहुचर्चित है
स्वागत है अतिथि का
बस जाना किंतु वर्जित है....
३)
दूर तलक
देखने की आस में
गुज़र गया बहुत कुछ
नज़रों के पास से....
४)
क्रोध और आंधी
एक से है दोनों,
ज्ञात हो पाता है
परिमाण क्षति का
शांत होने के बाद...
५)
न जाने
क्यों कब और कैसे
पहुंच गया
दर पर उसके,
होते हुए
टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों से,
और खो गया था
जगत की भीड़ में.....
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