vinod's feels and words

Friday, 26 February 2016

तवज्जो,,,,,,,,,

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तवज्जो,,,,,,, # # # # # जानना समझना है गर किसी की तबिअत को                       ( प्रकृति /nature) उठा लो जोखिम खेल तवज्जो        ...
Sunday, 14 February 2016

जुग जुग जीयो म्हारी लाडलड़ी : विजया और विनोद

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जुग जुग जीयो म्हारी लाडलड़ी ######### थांरी रख्या करे देशाणी ओ राज जुग जुग जीयो म्हारी लाडलड़ी. म्हाने सुख आयो जद थे आया थे तो सिरदयां में...

जब बने शल्क तुषार तुम,,,,,,

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जब बने शल्क तुषार तुम,,,,,, ####### ऊष्मा को मैं था तरस गया जब बने शल्क तुषार तुम,,,,,,,, मैं तपता एक मरु थल था झुलसा तन, मन विकल था रुत बद...

Scribblings : Maturity

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Scribblings  : Maturity # # ## # # # Maturity The inner integrity That happens only When we stop making Others responsible For our ...

पाताल : विजया

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पाताल + + + + + जो ना समझे जग की चाल, समझो पहुँच गया पाताल... मधुर वचन से मन को घेरे, उष्ण स्पर्श के तन पर डेरे, नाचे मानुष नौ नौ ताल, समझो...

ख्वाब... : विजया

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ख्वाब... + + + + + जाग भी जाओ जाना ! खोये रहोगे ख़्वाब में यूँ कब तक, देखो ना रह गयी है तड़फती दर्द के बिस्तर पर बेहिसी..

अनकहे को सुन ले.... : विजया

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अनकहे को सुन ले.... + + + + + + + कैसे कहूँ मेरा हमदम कितना करीब है हर लम्हे मेरा साया वो ऐसा हबीब है. हर राह और मोड़ पर वो साथ देनेवला वो ह...
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Vinod Singhi
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