Sunday, 14 February 2016

पाताल : विजया

पाताल
+ + + + +
जो ना समझे
जग की चाल,
समझो
पहुँच गया
पाताल...

मधुर वचन से
मन को घेरे,
उष्ण स्पर्श के
तन पर डेरे,
नाचे मानुष
नौ नौ ताल,
समझो
पहुँच गया
पाताल...

थोथी सब की
बातें सुन के
पाप पुन्य की
चादर बुन के
भूल जाए जो
स्थिति काल,
समझो
पहुँच गया
पाताल...
झूठी बडाई को
पाकर के जो
पुलाव् खयाली
खाकर के जो,
बन जाए
बौड़म वाचाल,
समझो
पहुँच गया
पाताल...
सावधानी हटी
घटी दुर्घटना,
जाना दिल्ली
उतरे पटना,
हो जावे यूँ
हाल बेहाल,
समझो
पहुँच गया
पाताल...

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